दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण: ‘गैस चैंबर’ बनी राजधानी, AQI 500 के पार
दिल्ली और उसके आस-पास के इलाके आजकल गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि इसे ‘गैस चैंबर’ कहा जाने लगा है। राजधानी दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 531 तक पहुंच गया है, जबकि नरेला इलाके में यह सबसे ज्यादा 551 रिकॉर्ड किया गया है। यह स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है और इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। कई जगहों पर लोग आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं की शिकायत कर रहे हैं।
दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली के 38 प्रदूषण निगरानी स्टेशनों में से 34 ने ‘रेड जोन’ यानी खतरनाक स्तर का प्रदूषण दर्ज किया है। राजधानी के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत खराब से लेकर गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया है। उदाहरण के तौर पर, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के आसपास AQI 317, आईटीओ पर 259, आरके पुरम में 368, और अशोक विहार में 493 का स्तर पाया गया। नोएडा का AQI 369 और गाजियाबाद का 402 है, जो भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।
इंडिया गेट के आसपास AQI 342 दर्ज किया गया है, जो ‘गंभीर’ स्तर की हवा को दर्शाता है। अक्षरधाम, चांदनी चौक, रोहिणी और ओखला जैसे इलाकों में भी वायु गुणवत्ता खराब बनी हुई है। दिल्ली के इन इलाकों में सांस लेने वाले लोग काफी परेशान हैं।
प्रदूषण बढ़ने की वजहें
दीपावली के त्योहार के दौरान शहर में आतिशबाजी की भारी मात्रा में हुई, जिससे धुआं और धूल का स्तर बढ़ गया। पटाखों और फेयर ग्राउंड से निकलने वाला धुआं वायु में मिलकर प्रदूषण को गंभीर बना देता है। इसके अलावा सर्दियों में हवा की गति धीमी होने से प्रदूषित कण शहर में लंबे समय तक बने रहते हैं।
शहरी क्षेत्रों में निर्माण कार्य, वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन और ठंडी हवाओं की कमी प्रदूषण बढ़ाने के प्रमुख कारण हैं। नतीजतन, दिल्ली-एनसीआर की हवा घनी धुंध में ढक जाती है और इससे सांस लेने में तकलीफ होती है।
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)
वायु प्रदूषण के स्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का दूसरा चरण लागू किया है। इसके तहत उन सभी गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है, जो प्रदूषण बढ़ाती हैं। इनमें निर्माण और विध्वंस कार्यों को सीमित करना, धूल फैलाने वाली परियोजनाओं पर रोक लगाना और गैर-जरूरी डीजल जनरेटर के उपयोग पर प्रतिबंध शामिल है। इसके अलावा, कूड़ा जलाने, खुले में पटाखे फोड़ने जैसे कामों पर भी सख्ती से रोक लगाई जा रही है।
आम जनता की भूमिका
प्रदूषण कम करने में केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। स्थानीय निवासी भी इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं। कई लोग मानते हैं कि अगर हर व्यक्ति जिम्मेदारी समझे और प्रदूषण कम करने के नियमों का पालन करे, तो दिल्ली की हवा बेहतर हो सकती है। खासतौर पर पटाखों के उपयोग को कम करना, गाड़ियों का कम इस्तेमाल और कूड़ा न जलाना इस दिशा में मददगार साबित हो सकता है।
प्रदूषण के स्तर की श्रेणियां
AQI को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है, ताकि लोगों को प्रदूषण की स्थिति का पता चल सके:
अच्छा (0-50)
संतोषजनक (51-100)
मध्यम प्रदूषित (101-200)
खराब (201-300)
बहुत खराब (301-400)
गंभीर (401-500 और उससे ऊपर)
दिल्ली इस वक्त ‘गंभीर’ श्रेणी में है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। इस कारण खासकर बुजुर्गों, बच्चों और सांस से जुड़ी बीमारियों वाले लोगों को घर के बाहर कम निकलने की सलाह दी जाती है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद चिंताजनक है। इसका असर लोगों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर साफ दिख रहा है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़े नियम लागू हैं, लेकिन इनके सफल होने के लिए सरकार, प्रशासन और आम जनता को मिलकर काम करना होगा। अगर हम सभी मिलकर प्रदूषण कम करने की दिशा में कदम बढ़ाएं, तो ही दिल्ली की हवा फिर से साफ और सांस लेने योग्य बन पाएगी।