पर्यटन में भारी गिरावट से दोनों देशों को झटका, पाकिस्तान के साथ खड़े होने की चुकानी पड़ रही है कीमत
भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर देशवासियों की भावना कितनी प्रबल है, इसका ताजा उदाहरण हाल ही में सामने आया है। जब सरकार और सेना एक मोर्चे पर देश की रक्षा करती है, तो आम नागरिक भी अपने स्तर पर अपने देश के खिलाफ खड़े होने वालों को जवाब देने में पीछे नहीं रहते। इसका सबसे ठोस प्रमाण तुर्की और अजरबैजान को लेकर सामने आया है।
दरअसल, इन दोनों देशों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का समर्थन किया था और भारत के खिलाफ कड़े रुख अपनाए थे। इसके जवाब में भारतीय जनता ने अपने अंदाज़ में विरोध दर्ज कराया — पर्यटन बहिष्कार के ज़रिए।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर और क्यों बना वैश्विक विवाद का कारण?
ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान था, जिसे देश की सीमाओं की सुरक्षा और आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से अंजाम दिया गया। इस दौरान पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया गया, जिसे वैश्विक स्तर पर कई देशों ने समर्थन दिया, वहीं कुछ देशों ने भारत के खिलाफ खड़े होकर पाकिस्तान का साथ दिया।
तुर्की और अजरबैजान ने इस दौरान न केवल पाकिस्तान का पक्ष लिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ बयानबाजी भी की। इससे भारतीय नागरिकों में गहरी नाराजगी पैदा हुई।
असर दिखा पर्यटक आंकड़ों में – भारतियों का जवाब साफ और सीधा
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय पर्यटकों ने तुर्की और अजरबैजान की यात्रा पर व्यापक बहिष्कार शुरू कर दिया। सरकारी आंकड़ों और ट्रैवल इंडस्ट्री रिपोर्ट्स के अनुसार:
अजरबैजान में मई से अगस्त 2025 के बीच भारतीय पर्यटकों की संख्या में 56% की गिरावट दर्ज की गई।
तुर्की में इसी अवधि में यह गिरावट 33.3% तक पहुंच गई।
ये दोनों देश भारतीय पर्यटकों के लिए लोकप्रिय डेस्टिनेशन माने जाते थे। 2024 में जहां अजरबैजान ने 2.44 लाख भारतीय पर्यटक दर्ज किए थे, वहीं तुर्की में यह आंकड़ा 3.31 लाख तक पहुंच गया था। लेकिन 2025 में हालात पूरी तरह बदल गए हैं।
पर्यटन उद्योग पर पड़ा सीधा प्रभाव
भारतीय पर्यटकों की संख्या में आई यह गिरावट दोनों देशों के पर्यटन उद्योग पर सीधा असर डाल रही है। होटल, ट्रांसपोर्ट, गाइड सर्विसेस और रेस्तरां व्यवसाय से जुड़े लोगों की आय में भारी गिरावट आई है। कई टूर ऑपरेटरों ने रिपोर्ट किया है कि भारत से आने वाली बुकिंग लगभग बंद हो चुकी हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का आर्थिक बहिष्कार आने वाले समय में किसी भी देश को भारत के खिलाफ खड़े होने से पहले सोचने पर मजबूर कर देगा।
सोशल मीडिया पर भी चला अभियान – #BoycottTurkey और #BoycottAzerbaijan
भारतीय नागरिकों ने न केवल व्यक्तिगत रूप से यात्रा रद्द की, बल्कि सोशल मीडिया पर भी ज़ोरदार अभियान चलाया। ट्विटर (अब X), इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफार्म्स पर #BoycottTurkey, #BoycottAzerbaijan और #StandWithIndia जैसे हैशटैग्स ट्रेंड करते रहे। इससे वैश्विक स्तर पर भी इस बहिष्कार को पहचान मिली।
नागरिकों का यह कदम क्या संदेश देता है?
भारत में नागरिक अब केवल दर्शक नहीं रहे — वे हर मोर्चे पर अपने देश के साथ खड़े हैं। सेना जब सीमा पर दुश्मन का जवाब देती है, तो देशवासी भी कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर अपने विरोध को सामने रखते हैं।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर कोई देश भारत की संप्रभुता या हितों के खिलाफ जाता है, तो उसे सिर्फ सरकार से नहीं, बल्कि 125 करोड़ नागरिकों से भी जवाब मिलेगा — वो भी ठंडे दिमाग से और असरदार तरीके से।
भारत विरोधी रुख अपनाने वाले देशों के लिए यह एक सीधा संदेश है कि भारतीय जनता अब जागरूक है और अपने फैसलों से फर्क डाल सकती है। तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ हुआ यह सशक्त विरोध एक नई तरह की ‘जन कूटनीति’ का उदाहरण है — जहां देशवासियों ने शांतिपूर्वक, लेकिन असरदार तरीके से अपनी बात रखी।