उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर जिले में महामाया एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। बलिया जिले की रहने वाली छात्रा हर्षिता रंजन ने फर्जी फ्रीडम फाइटर प्रमाण पत्र के सहारे एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया था। DM कार्यालय से वेरिफिकेशन के बाद यह धोखाधड़ी खुल गई, और कॉलेज प्रशासन ने छात्रा का दाखिला रद्द कर दिया। TarangVoice.com इस मामले को आपके सामने ला रहा है, जो मेडिकल एडमिशन में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है।
फर्जी प्रमाण पत्र का मामला: कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
हर्षिता रंजन ने नीट (NEET) परीक्षा के आधार पर एमबीबीएस सीट के लिए आवेदन किया था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की आश्रित होने का दावा करते हुए फर्जी प्रमाण पत्र जमा किया, जिससे उन्हें आरक्षण कोटा में सीट मिल गई। यह प्रमाण पत्र फर्जी साबित होने के बाद कॉलेज प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की। DM कार्यालय की जांच में पुष्टि हुई कि प्रमाण पत्र में कोई सच्चाई नहीं है। यह मामला फिरोजाबाद के एक समान घटना से मिलता-जुलता है, जहां एक छात्रा ने फर्जी स्वतंत्रता सेनानी प्रमाण पत्र से सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया था।
महामाया मेडिकल कॉलेज: अम्बेडकरनगर का प्रमुख संस्थान
महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉले, अम्बेडकरनगर में सदरपुर, अकबरपुर-टांडा रोड पर स्थित है। ये उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग के तहत संचालित एक प्रमुख मेडिकल संस्थान है, जहां एमबीबीएस और अन्य चिकित्सा कोर्स चलते हैं। कॉलेज का फोन नंबर 05273-288771 और ईमेल ksv211@rediffmail.com है। इस तरह के फर्जीवाड़े कॉलेज की प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचाते हैं और सच्चे मेरिट वाले छात्रों के हक पर सवाल उठाते हैं।
कार्रवाई: दाखिला रद्द, आगे क्या?
कॉलेज प्रशासन ने हर्षिता रंजन का दाखिला तुरंत रद्द कर दिया। अब मामला पुलिस के पास पहुंचा है, और फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की संभावना है। उत्तर प्रदेश मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने ऐसी घटनाओं पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। DM कार्यालय की वेरिफिकेशन प्रक्रिया ने इस धोखाधड़ी को उजागर किया, लेकिन यह सवाल उठाता है कि एडमिशन प्रक्रिया में और सख्त जांच क्यों नहीं होती।
इसी तरह के अन्य मामले: एक पैटर्न?
यह पहला मामला नहीं है। फिरोजाबाद में एक छात्रा ने नीट यूजी 2025 में कम रैंक के बावजूद फर्जी स्वतंत्रता सेनानी प्रमाण पत्र से सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। जांच में प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया, और प्राचार्य ने SSP को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में भी तीन छात्राओं ने फर्जी EWS प्रमाण पत्र से नीट पास कर MBBS में एडमिशन लिया, जो तहसील कार्यालय की जांच में फर्जी साबित हुआ। ये घटनाएं मेडिकल एडमिशन में फर्जी दस्तावेजों के बढ़ते चलन को दर्शाती हैं।
प्रभाव और सबक
इस फर्जीवाड़े से न केवल कॉलेज की विश्वसनीयता प्रभावित हुई, बल्कि सच्चे छात्रों के अवसर भी छिन गए। आरक्षण कोटा का दुरुपयोग न केवल अन्याय है, बल्कि कानूनी अपराध भी। सरकार को एडमिशन प्रक्रिया में डिजिटल वेरिफिकेशन और सख्त जांच को अनिवार्य करना चाहिए। स्थानीय लोग और अभिभावक भी सतर्क रहें, ताकि ऐसे मामले दोबारा न हों।
पारदर्शिता की जरूरत
अम्बेडकरनगर का यह मामला मेडिकल एजुकेशन में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। हर्षिता रंजन का दाखिला रद्द होना सही कदम है, लेकिन आगे पुलिस जांच और सजा सुनिश्चित होनी चाहिए।