मुंबई शहर की हलचल भरी जिंदगी में डिजिटल दुनिया का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। लेकिन इसी के साथ साइबर अपराधों का खतरा भी तेजी से उभर रहा है। ऐसे में युवाओं को जागरूक करना बेहद जरूरी हो गया है। इसी दिशा में महाराष्ट्र राज्य साइबर विभाग, क्विकहील फाउंडेशन और ठाकुर रामनारायण कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स के संयुक्त प्रयास से एक अनोखा साइबर जागरूकता अभियान की शुरुआत हुई है। कॉलेज के जी-10 ग्रुप के छात्र मंथन मिश्रा और नील केसारकर ने इस अभियान को आगे बढ़ाया, जो न केवल छात्रों बल्कि पूरे समाज को साइबर सुरक्षा के प्रति सतर्क बनाने का प्रयास है। यह पहल 2025 में मुंबई के शैक्षिक जगत में एक मिसाल कायम कर रही है। आइए, इस अभियान की गहराई से पड़ताल करते हैं और समझते हैं कि यह युवाओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।

अभियान की शुरुआत: युवाओं की पहल से जागरूकता का प्रसार
ठाकुर रामनारायण कॉलेज, जो मुंबई के प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में से एक है, ने साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए जी-10 टीम को यह जिम्मेदारी सौंपी। मंथन मिश्रा और नील केसारकर जैसे उत्साही छात्रों ने क्विकहील फाउंडेशन के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में इस अभियान को आकार दिया। क्विकहील फाउंडेशन, जो साइबर सुरक्षा पर काम करने वाली एक प्रमुख संस्था है, ने तकनीकी सहायता प्रदान की, जबकि महाराष्ट्र साइबर विभाग ने सरकारी स्तर पर समर्थन दिया।
अभियान का उद्घाटन कॉलेज परिसर में एक विशेष सत्र से हुआ, जहां सैकड़ों छात्रों ने भाग लिया। छात्रों ने बताया कि डिजिटल युग में हर व्यक्ति स्मार्टफोन और इंटरनेट का उपयोग करता है, लेकिन साइबर अपराधी इसी का फायदा उठाते हैं। इस पहल का मुख्य लक्ष्य है युवाओं को साइबर खतरों जैसे फिशिंग, हैकिंग, पासवर्ड चोरी और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने के सरल तरीके सिखाना। छात्रों ने जोर दिया कि जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है, और यह अभियान इसी दिशा में एक कदम है।
कार्यक्रम का स्वरूप: सरल भाषा में गंभीर संदेश
कार्यक्रम के दौरान मंथन और नील ने वास्तविक जीवन के उदाहरणों का सहारा लिया। उन्होंने बताया कि साइबर अपराधी लोगों की भावनाओं का शोषण करते हैं जैसे जिज्ञासा जगाकर फर्जी लिंक भेजना, डर पैदा करके पैसे मांगना या लालच दिखाकर निवेश का लालच देना। एक उदाहरण में उन्होंने एक काल्पनिक कहानी सुनाई, जहां एक युवा फर्जी ईमेल पर क्लिक करके अपनी बैंक डिटेल्स खो देता है। इससे छात्रों को तुरंत समझ आ गया कि खतरा कितना करीब है।

साइबर सुरक्षा के बुनियादी उपायों पर विशेष फोकस रहा। छात्रों ने स्लाइड शो और वीडियो के माध्यम से समझाया:
मजबूत पासवर्ड का उपयोग: पासवर्ड में अक्षर, संख्याएं और विशेष चिह्न मिलाकर बनाएं, और इन्हें नियमित बदलें।
ओटीपी की गोपनीयता: कभी भी ओटीपी किसी के साथ साझा न करें, भले ही कॉल करने वाला बैंक का अधिकारी ही क्यों न लगे।
संदिग्ध लिंक से बचाव: अनजान ईमेल या मैसेज के लिंक पर क्लिक न करें; पहले स्रोत की जांच करें।
सुरक्षित वेबसाइट की पहचान: .in या .com जैसी विश्वसनीय डोमेन वाली साइट्स का ही उपयोग करें, और HTTPS प्रोटोकॉल देखें।
ये सुझाव इतने सरल थे कि छात्रों ने तुरंत इन्हें नोट किया और अपने दोस्तों-परिवार को बताने का वादा किया।
कॉलेज प्रशासन और साइबर विभाग की सराहना: समाज के लिए प्रेरणा
कॉलेज के प्राचार्य और प्रशासन ने इस पहल की खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा, आज की पीढ़ी यदि साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक होगी, तो वे न केवल खुद सुरक्षित रहेंगे बल्कि समाज को भी सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह बयान दर्शाता है कि शैक्षिक संस्थान अब साइबर शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की दिशा में सोच रहे हैं।
महाराष्ट्र राज्य साइबर विभाग के अधिकारियों ने भी अभियान को सराहा। एक अधिकारी ने कहा, ऐसे छात्र-नेतृत्व वाले प्रयास नागरिकों को डिजिटल दुनिया में सुरक्षित बने रहने के लिए प्रेरित करते हैं। हम विभाग स्तर पर ऐसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देंगे। क्विकहील फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने बताया कि फाउंडेशन पहले से ही स्कूलों और कॉलेजों में साइबर वर्कशॉप चला रहा है, और यह अभियान उसी श्रृंखला का हिस्सा है।
आंकड़ों से झलकता खतरा: क्यों जरूरी है जागरूकता
भारत में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल के वर्षों में फिशिंग और ऑनलाइन फ्रॉड के मामले दोगुने से अधिक हो चुके हैं। युवा, जो सोशल मीडिया और ऑनलाइन बैंकिंग का सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं, सबसे ज्यादा शिकार बनते हैं। इस अभियान से छात्रों को न केवल बचाव के तरीके सीखने को मिले, बल्कि वे अपने समुदाय में भी जागरूकता फैला सकें।
भविष्य की योजनाएं: व्यापक प्रसार की उम्मीद
यह अभियान केवल कॉलेज तक सीमित नहीं रहेगा। आगामी दिनों में इसे अन्य कॉलेजों, स्कूलों और सामाजिक संस्थानों तक पहुंचाया जाएगा। मंथन और नील ने योजना बनाई है कि सोशल मीडिया के माध्यम से वीडियो और इन्फोग्राफिक्स शेयर किए जाएंगे, ताकि मुंबई के अलावा पूरे महाराष्ट्र तक संदेश पहुंचे। साइबर विभाग ने वादा किया है कि ऐसे अभियानों को सरकारी स्तर पर समर्थन मिलेगा, जैसे वर्कशॉप और हेल्पलाइन नंबर (1930) का प्रचार।
साइबर सुरक्षा के लिए कुछ व्यावहारिक सुझाव
अभियान से प्रेरित होकर यहां कुछ अतिरिक्त टिप्स दिए जा रहे हैं, जो हर व्यक्ति अपना सकता है:
दो-कारक प्रमाणीकरण (2FA) सक्रिय करें: हर अकाउंट में 2FA चालू रखें।
सॉफ्टवेयर अपडेट रखें: फोन और कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट रखें।
संदिग्ध कॉल्स पर सावधानी: अनजान नंबरों से आने वाले कॉल्स को इग्नोर करें।
बैकअप लें: महत्वपूर्ण डेटा का नियमित बैकअप रखें।
ये छोटे-छोटे कदम बड़े नुकसान से बचा सकते हैं।
जागरूकता ही सुरक्षा की कुंजी
ठाकुर रामनारायण कॉलेज का यह साइबर जागरूकता अभियान युवा शक्ति का सकारात्मक उपयोग दर्शाता है। मंथन मिश्रा और नील केसारकर जैसे छात्र साबित कर रहे हैं कि बदलाव की शुरुआत छोटे स्तर से हो सकती है। क्विकहील फाउंडेशन और महाराष्ट्र साइबर विभाग का सहयोग इस प्रयास को और मजबूत बनाता है। यदि हर कॉलेज और संस्थान ऐसी पहल अपनाए, तो डिजिटल भारत सुरक्षित भारत बन सकता है। आइए, हम सब मिलकर साइबर अपराधों के खिलाफ एकजुट हों और सुरक्षित डिजिटल जीवन जिएं।