सेना और पुलिस का एक ही मिशन: राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनाथ सिंह का बड़ा बयान
देश की रक्षा केवल सीमा पर नहीं, बल्कि देश के अंदर भी होती है। यही संदेश लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर एक अहम संबोधन दिया। अपने भाषण में उन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया, बल्कि सेना और पुलिस के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
सेना और पुलिस के अलग मंच, लेकिन एक लक्ष्य – देश की सुरक्षा
राजनाथ सिंह ने कहा कि भले ही सेना और पुलिस अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर काम करती हैं, लेकिन इनका उद्देश्य एक ही है — भारत की सुरक्षा। उन्होंने स्पष्ट किया कि चाहे खतरों का स्रोत सीमा पार हो या देश के भीतर छिपे दुश्मन, हर वर्दीधारी जवान एक ही भावना के साथ खड़ा होता है — मातृभूमि की रक्षा।
उन्होंने कहा, “सेना और पुलिस का मंच अलग हो सकता है, लेकिन मिशन एक ही है — भारत की सुरक्षा। अमृत काल में प्रवेश करते हुए और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए हमें आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को संतुलित करना पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है।”
गृह मंत्री और रक्षा मंत्री के अनुभव साझा किए
राजनाथ सिंह ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि जब वे गृह मंत्री थे, तब उन्होंने पुलिस के कार्यों को नजदीक से देखा। अब रक्षा मंत्री के रूप में उन्हें सेना की गतिविधियों को समझने का अवसर मिल रहा है। इन दोनों अनुभवों ने उन्हें यह समझने में मदद की है कि सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय कितना जरूरी है।
पुलिस की सराहना – नैतिक कर्तव्यों का भी निर्वहन
राजनाथ सिंह ने पुलिस बल की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि पुलिस सिर्फ अपनी ड्यूटी नहीं निभा रही, बल्कि अपने नैतिक कर्तव्यों का भी पालन कर रही है। उन्होंने कहा, “आज देशवासियों को भरोसा है कि अगर कुछ गलत होता है, तो पुलिस उनके साथ खड़ी होगी।” यह भरोसा ही देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत बनाता है।
नक्सलवाद पर निर्णायक कार्रवाई
रक्षा मंत्री ने कहा कि नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक पुरानी चुनौती रही है, लेकिन अब इसके खिलाफ निर्णायक कदम उठाए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से इस पर नियंत्रण पाया जा रहा है।
उन्होंने गर्व के साथ कहा, “जहां कभी रेड कॉरिडोर था, अब वहां विकास के गलियारे बन रहे हैं। स्कूल, अस्पताल, सड़कें और कॉलेज बन रहे हैं। नक्सलवाद अब अतीत की बात बनती जा रही है।”
राजनाथ सिंह ने आश्वासन दिया कि 2026 तक नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या लगभग शून्य हो जाएगी।
पुलिस का योगदान अब पहचान में आ रहा है
उन्होंने यह भी कहा कि अतीत में पुलिस के योगदान को वह मान्यता नहीं मिली, जिसकी वह हकदार थी। लेकिन 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक की स्थापना करके इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। साथ ही, पुलिस बल को आधुनिक हथियार, तकनीक और प्रशिक्षण भी मुहैया कराए जा रहे हैं।
समन्वय और संसाधनों का समुचित उपयोग जरूरी
राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के पास संसाधन सीमित हैं और चुनौतियां असीमित। ऐसे में सेना, पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय और एकीकरण जरूरी है ताकि उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम और प्रभावी उपयोग हो सके।
राजनाथ सिंह का यह बयान स्पष्ट करता है कि भारत की सुरक्षा किसी एक एजेंसी की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह सेना, पुलिस और नागरिकों के सामूहिक प्रयासों से ही सुनिश्चित होती है। उनके शब्दों में एक गहरा संदेश छुपा है — “जब देश का हर रक्षक एक भावना, एक मिशन और एक समर्पण के साथ खड़ा होता है, तब भारत अजेय बनता है।”