तेजस्वी यादव की रणनीति: परंपरा और परिवर्तन का मिश्रण

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें 46 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। इस सूची ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आरजेडी अब केवल पारंपरिक जातीय समीकरणों पर नहीं, बल्कि स्टार अपील, सामाजिक संतुलन और युवाशक्ति के मिश्रण से चुनावी रणभूमि में उतर रही है।

तेजस्वी यादव की अगुवाई में जारी इस सूची में पार्टी ने एक ओर अपने यादव-मुस्लिम (MY) आधार को बरकरार रखा है, तो दूसरी ओर नए और चर्चित चेहरों को शामिल कर यह संकेत भी दिया है कि पार्टी अब “विरासत की राजनीति” से आगे बढ़ रही है।

स्टार अपील और जातीय संतुलन: खेसारी लाल का नाम बड़ा दांव

इस सूची में सबसे चर्चित और अप्रत्याशित नाम भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव का है, जिन्हें छपरा से उम्मीदवार बनाया गया है। यह आरजेडी की चुनावी रणनीति में एक बड़ा बदलाव है। इससे तीन प्रमुख संकेत मिलते हैं:

1. पार्टी अब युवा और मनोरंजन जगत की हस्तियों को मंच दे रही है।
2. भाजपा की स्टार पावर को टक्कर देने के लिए आरजेडी भी अब अपनी स्टार अपील बढ़ा रही है।
3. छपरा जैसे रणनीतिक क्षेत्र में जातीय राजनीति से इतर, लोकप्रियता आधारित राजनीति की ओर रुख किया जा रहा है।

राघोपुर से तेजस्वी यादव, परंपरा को दी मजबूती

तेजस्वी यादव ने एक बार फिर से राघोपुर सीट से मैदान में उतरकर यह संदेश दिया है कि वह अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं। यह कदम सांकेतिक और रणनीतिक दोनों है। राघोपुर, आरजेडी की राजनीतिक विरासत का केंद्र रहा है और तेजस्वी का वहां से खड़ा होना पार्टी में नेतृत्व की स्थिरता और परंपरा को दर्शाता है।

अनुभवी और भरोसेमंद चेहरे भी सूची में शामिल

पार्टी ने जहां नए चेहरों को मौका दिया है, वहीं कई अनुभवी नेताओं को भी मैदान में उतारा है, जिनमें शामिल हैं:

भाई वीरेंद्र (मनेर)
भोला यादव (बहादुरपुर)
प्रो. चंद्रशेखर (मधेपुरा)
अवध बिहारी चौधरी (सीवान)
अख्तरुल इस्लाम शाहीन (समस्तीपुर)

यह संतुलन दर्शाता है कि पार्टी नए उत्साह और पुराने अनुभव के मेल से संगठन को मजबूत करना चाहती है।

महागठबंधन में खटपट और विवादास्पद चेहरे बने जोखिम

आरजेडी की इस सूची में कुछ कमजोरियां भी सामने आई हैं। सबसे बड़ी चुनौती रही महागठबंधन में तालमेल की कमी। कांग्रेस और आरजेडी के बीच सूची जारी करने में देरी और एक ही सीट पर अलग-अलग उम्मीदवारों का खड़ा होना**, जैसे **वैशाली और लालगंज में, गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है।

साथ ही ओसामा शहाब जैसे विवादास्पद चेहरों को टिकट देना भाजपा को यह मुद्दा देने जैसा है कि वह ‘शहाबुद्दीन की विरासत’ को आगे बढ़ा रही है। वहीं, खेसारी लाल की लोकप्रियता के बावजूद, शहरी वर्ग उन्हें गंभीर उम्मीदवार नहीं मान सकता।

EBC और महिलाओं को कम प्रतिनिधित्व: एक चूक

आरजेडी की इस सूची में महिलाओं और EBC वर्ग को कम मौका मिला है। जहां जदयू ने अपनी सूची में EBC वर्ग को प्राथमिकता दी है, वहीं आरजेडी की लिस्ट में कुछ ही महिला उम्मीदवार जैसे:

अनीता देवी (नोखा)
माला पुष्पम (हसनपुर)
चांदनी सिंह (बनियापुर)
रेखा पासवान (मसौढ़ी)

इन नामों के बावजूद, प्रतिनिधित्व का प्रतिशत कम है, जो पार्टी के लिए आलोचना का कारण बन सकता है।

नई पीढ़ी को बढ़ावा: युवा चेहरों की एंट्री

आरजेडी ने इस सूची में कई युवा और नए नेताओं को मौका दिया है, जैसे:

राहुल तिवारी (शाहपुर)
रणविजय साहू (मोरवा)
आलोक मेहता (उजियारपुर)

ये संकेत हैं कि तेजस्वी यादव अब पार्टी को नई दिशा और नई सोच के साथ आगे बढ़ाना चाहते हैं।

 

आरजेडी की यह पहली सूची केवल टिकटों की घोषणा नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश है। पार्टी ने परंपरा, अनुभव, युवा ऊर्जा और स्टार पावर का मिश्रण कर यह साबित करने की कोशिश की है कि वह **सिर्फ जातीय राजनीति तक सीमित नहीं रहना चाहती।

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