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चीन की भूल से सबक: आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान हटाने में नहीं, अपनाने में

1960 के दशक में चीन ने गौरैयाओं को खत्म करने का अभियान चलाया, ये सोचकर कि वे फसलों का 10% अनाज खा जाती हैं। लाखों गौरैया मारी गईं, लेकिन परिणामस्वरूप टिड्डियों और कीड़ों ने फसलों को बर्बाद कर दिया, जिससे भुखमरी फैली। अंततः चीन को गौरैया वापस लानी पड़ी। कर्नल पी.एस. बिंद्रा, एक अनुभवी सैनिक और सामाजिक कार्यकर्ता, इस ऐतिहासिक गलती का हवाला देते हुए भारत में आवारा कुत्तों की समस्या के लिए एक मानवीय और टिकाऊ समाधान प्रस्तावित करते हैं। TarangVoice.com के माध्यम से वे इस मुद्दे को समाज के सामने लाते हैं, जिसमें वे चेतावनी देते हैं कि आवारा कुत्तों को हटाने की नीति से वैक्यूम इफेक्ट पैदा हो सकता है, जो समस्या को और जटिल कर देगा।

आवारा कुत्तों की समस्या और सुप्रीम कोर्ट का आदेश

भारत में, विशेषकर दिल्ली-एनसीआर में, सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के तहत आवारा कुत्तों को शेल्टर में रखने की योजना बन रही है।एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 6 करोड़ आवारा कुत्ते हैं। दिल्ली सरकार ने एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) रूल्स 2023 के तहत नसबंदी और टीकाकरण जारी रखने के साथ शेल्टर आधारित नीति अपनाने का फैसला किया है। कर्नल बिंद्रा का कहना है कि सभी कुत्तों को अचानक हटाने से वैक्यूम इफेक्ट होगा, जिसके कारण आसपास के राज्यों और शहरों से और अधिक कुत्ते या अन्य जानवर (जैसे चूहे, बंदर) आकर्षित होंगे

हटाने की नीति: एक महंगा और अस्थायी समाधान

कर्नल बिंद्रा के अनुसार, लाखों कुत्तों को शेल्टर में स्थानांतरित करने में हजारों करोड़ रुपये खर्च होंगे, और यह समस्या को स्थायी रूप से हल नहीं करेगा। अचानक कुत्तों को हटाने से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे चूहे और अन्य हानिकारक जीव बेकाबू हो सकते हैं। चीन की गौरैया वाली गलती इसका जीवंत उदाहरण है। कर्नल बिंद्रा चेतावनी देते हैं कि जहां कचरा और खाने का सामान उपलब्ध होगा, वहां कुत्तों की अनुपस्थिति में अन्य जानवर अवश्य आएंगे।

कर्नल बिंद्रा का समाधान: अपनाने की नीति

कर्नल बिंद्रा का सुझाव है कि बड़े और महंगे शेल्टर बनाने के बजाय एक *मानवीय और समुदाय-आधारित मॉडल* अपनाया जाए। उनके प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं:

1. छोटे फीडिंग पॉइंट्स: कॉलोनियों के बाहर छोटे, अस्थायी, और ढके हुए फीडिंग पॉइंट बनाए जाएं, जहां बचा हुआ भोजन और पानी साफ बर्तनों में उपलब्ध कराया जाए।

2. नसबंदी और टीकाकरण: नियमित नसबंदी, टीकाकरण, और चिकित्सा सुनिश्चित करें। रिपोर्ट के अनुसार, 70% मादा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण से प्रजनन चक्र टूट सकता है।

3. पहचान के लिए कॉलर: प्रत्येक कुत्ते के गले में नीले या गुलाबी कॉलर के साथ नाम हो, ताकि उनकी पहचान बनी रहे और समुदाय में विश्वास बढ़े।

4. कचरा प्रबंधन: घरों से खाने का कचरा अलग कर उसे कुत्तों और गायों के लिए उपयोग करें। बाकी स्क्रैप और पैकिंग मटेरियल को रीसाइकल करें।

सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव

कर्नल बिंद्रा का यह मॉडल न केवल आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करेगा, बल्कि कई अन्य लाभ भी देगा:

कचरा प्रबंधन में क्रांति: बचे हुए भोजन का सही उपयोग और रीसाइक्लिंग से कचरे की समस्या कम होगी।

डर और बाइट केस में कमी: नियंत्रित फीडिंग और चिकित्सा से कुत्तों का व्यवहार शांत होगा, जिससे हमले कम होंगे।

कुत्ते चूहों और हानिकारक जीवों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाकर प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

अपनाने से बनेगा सही समाधान

कर्नल पी.एस. बिंद्रा कहते हैं, कि चीन को अपनी गलती का अहसास तीन साल बाद हुआ था। भारत के पास मौका है कि वह पहले से सबक ले और सही कदम उठाए। उनका मॉडल न केवल मानवीय है, बल्कि आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से भी टिकाऊ है। TarangVoice.com* के माध्यम से हम समाज से अपील करते हैं कि आवारा कुत्तों को हटाने के बजाय अपनाने की नीति को समर्थन दें। यह न केवल कुत्तों के प्रति हमारी दोस्ती को बचाएगा, बल्कि समाज में डर को भी कम करेगा और कचरा प्रबंधन में क्रांति लाएगा।

Abhishek Tiwari
Abhishek Tiwari
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में समर्पित प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से जुड़े। उद्देश्य सच्चाई को जन-जन तक पहुंचाना और राष्ट्र के हित में कार्य करना है। साहसी, निडर, और समर्पित व्यक्तित्व के साथ, समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास।

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