मनोज भावुक भोजपुरी साहित्य और सिनेमा की दुनिया में एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी, अभिनय और समर्पण से भोजपुरी संस्कृति को नई ऊंचाइयां दी हैं। 2 जनवरी 1976 को बिहार के सीवान में जन्मे मनोज भावुक कवि, लेखक, अभिनेता, पत्रकार और शोधकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। TarangVoice.com के माध्यम से हम उनके प्रेरणादायी जीवन और योगदान को आपके सामने ला रहे हैं।
साहित्य में योगदान: भोजपुरी की आत्मा को शब्दों में पिरोया
मनोज भावुक ने भोजपुरी साहित्य को कई अनमोल रचनाएं दी हैं। उनकी किताब “तस्वीर जिंदगी के”, एक ग़ज़ल संग्रह, को बहुत सराहना मिली और इसके लिए उन्हें 2006 में भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी सबसे महत्वपूर्ण रचना “भोजपुरी सिनेमा के संसार” भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर एक गहन शोध है। इस किताब में 1931 से अब तक के भोजपुरी सिनेमा के सफर, चुनौतियों, और संभावनाओं को बखूबी दर्शाया गया है। इसमें अमिताभ बच्चन, रवि किशन, और मनोज तिवारी जैसे सितारों के साक्षात्कार शामिल हैं। इस कार्य के लिए उन्हें 2025 में सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड्स में बेस्ट राइटर अवार्ड मिला।
सिनेमा और टीवी: बहुमुखी प्रतिभा
मनोज भावुक केवल लेखक ही नहीं, बल्कि एक कुशल अभिनेता और टीवी प्रस्तोता भी हैं। उन्होंने ज़ी टीवी के रियलिटी शो सा रे गा मा पा (भोजपुरी) के प्रोजेक्ट हेड के रूप में काम किया। इसके अलावा, उन्होंने कई भोजपुरी फिल्मों और धारावाहिकों में अभिनय किया और गीत लेखन में भी योगदान दिया। थिएटर में उनकी गहरी रुचि रही, और वे थिएटर एक्टिंग में डिप्लोमा धारक हैं। उनकी यह बहुमुखी प्रतिभा उन्हें भोजपुरी सिनेमा का एक मजबूत स्तंभ बनाती है।
पुरस्कार और सम्मान: वैश्विक पहचान
मनोज भावुक को भोजपुरी भाषा और साहित्य के प्रचार के लिए कई बड़े सम्मान मिले हैं:
फिल्मफेयर और फेमिना भोजपुरी आइकॉन: “साहित्य में उत्कृष्ट योगदान” के लिए सम्मान।
गीतांजलि साहित्य पुरस्कार (2018): यूनाइटेड किंगडम के गीतांजलि बहुभाषी साहित्यिक मंडल द्वारा।
लोकभाषा सम्मान: कैलाश गौतम सृजन संस्थान द्वारा।
बेस्ट राइटर अवार्ड (2025): “भोजपुरी सिनेमा के संसार” के लिए, लखनऊ में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक की उपस्थिति में।
करियर की शुरुआत: इंजीनियर से साहित्यकार तक
मनोज ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और अफ्रीका व यूके में इंजीनियर के तौर पर काम किया। लेकिन उनकी आत्मा साहित्य और संस्कृति में बसी थी। बाद में वे दूरदर्शन में पत्रकार बने और अंजन टीवी व महुआ प्लस जैसे चैनलों से जुड़े। वर्तमान में वे भोजपुरी जंक्शन पत्रिका के संपादक हैं और भोजपुरी को बढ़ावा देने के लिए यूरोप, अफ्रीका, दुबई, मॉरिशस, और नेपाल जैसे देशों की यात्रा कर चुके हैं।
भोजपुरी संस्कृति के प्रहरी
मनोज भावुक भोजपुरी को सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर मानते हैं। वे कहते हैं, “भोजपुरी में हमारे गांव-देहात की खुशबू, रीति-रिवाज, और भावनाएं बस्ती हैं।” उनकी रचनाओं में भोजपुरी की आत्मा झलकती है, और वे इसे वैश्विक मंच पर ले जाने के लिए कटिबद्ध हैं। मनोज भावुक के लेखन में भोजपुरी के घर-दुआर गमकते हैं, और समाज के सवाल बोलते हैं।
भोजपुरी का गौरव बढ़ाने वाला व्यक्तित्व
मनोज भावुक एक ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने साहित्य, सिनेमा, पत्रकारिता, और अभिनय के माध्यम से भोजपुरी को नई पहचान दी। उनकी किताब “भोजपुरी सिनेमा के संसार” को भोजपुरी सिनेमा का इनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है। वे विश्व भोजपुरी सम्मेलन के दिल्ली और इंग्लैंड इकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं। TarangVoice.com के माध्यम से हम उनके योगदान को सलाम करते हैं और युवाओं से अपील करते हैं कि वे अपनी मातृभाषा को गर्व से अपनाएं। मनोज भावुक जैसे व्यक्तित्व प्रेरणा हैं कि मेहनत और समर्पण से अपनी संस्कृति को विश्व पटल पर चमकाया जा सकता है।