मिजोरम के लिए एक ऐतिहासिक दिन! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 8,070 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली बैराबी-सैरांग नई रेल लाइन का उद्घाटन किया, जो राज्य की राजधानी आइजोल को पहली बार भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ती है। यह परियोजना न केवल मिजोरम के लोगों को सुरक्षित और सस्ती यात्रा का विकल्प देगी, बल्कि आर्थिक विकास, व्यापार और पर्यटन को भी नई गति प्रदान करेगी। खराब मौसम के कारण प्रधानमंत्री लेंगपुई हवाई अड्डे से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम को संबोधित किया, लेकिन उनका संदेश पूरे राज्य में उत्साह भर देने वाला रहा। आइए, इस महत्वपूर्ण घटना को विस्तार से समझते हैं।
बैराबी-सैरांग रेल लाइन: इंजीनियरिंग का चमत्कार
यह 51.38 किलोमीटर लंबी रेल लाइन मिजोरम के दुर्गम पहाड़ी इलाकों से गुजरती हुई बैराबी को सैरांग से जोड़ती है। परियोजना की शुरुआत 2015 में हुई थी, हालांकि इसे 2008-09 में मंजूरी मिली थी। निर्माण के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे भारी वर्षा, भूस्खलन और खराब दृश्यता। लेकिन भारतीय इंजीनियरों के कौशल और मजदूरों के जज्बे ने इसे संभव बनाया। इस लाइन में 48 सुरंगें हैं, जो कुल 13 किलोमीटर लंबी हैं, साथ ही 55 बड़े पुल, 87 छोटे पुल, पांच सड़क ऊपरी पुल और नौ सड़क निचले पुल शामिल हैं। सैरांग के पास ब्रिज नंबर 144 की ऊंचाई कुतुब मीनार से भी अधिक है।
यह रेल लाइन मिजोरम को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली पहली लाइन है, जो आइजोल को सिलचर के माध्यम से मुख्यधारा से जोड़ेगी। इससे यात्रा का समय कम होगा, माल ढुलाई आसान होगी और आवश्यक वस्तुओं जैसे अनाज, उर्वरक की आपूर्ति समय पर होगी। राज्य के चार मुख्य स्टेशन – होर्टोकी, काउनपुई, मुअलखांग और सैरांग – अब सक्रिय हो जाएंगे।
नई ट्रेन सेवाओं का उद्घाटन
उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री ने तीन नई लंबी दूरी की ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। इनमें सैरांग-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, सैरांग-गुवाहाटी एक्सप्रेस और सैरांग-कोलकाता एक्सप्रेस शामिल हैं। राजधानी एक्सप्रेस सैरांग से सुबह 10 बजे रवाना होकर आनंद विहार टर्मिनल पहुंचेगी। यह मिजोरम के लिए पहली राजधानी ट्रेन है, जो दिल्ली से सीधा संपर्क स्थापित करेगी। इन ट्रेनों से पर्यटन, व्यापार और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
पीएम का संदेश: मिजोरम की ऐतिहासिक भूमिका
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से खराब मौसम की वजह से आइजोल में लोगों के साथ शामिल नहीं हो पाया। उन्होंने मिजोरम के लोगों की स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण में भूमिका की सराहना की। “चाहे स्वतंत्रता आंदोलन हो या राष्ट्र निर्माण, मिजोरम के लोग हमेशा योगदान देने के लिए आगे आए हैं… त्याग और सेवा, साहस और करुणा, ये मूल्य मिजो समाज के केंद्र में हैं। आज मिजोरम भारत की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह राष्ट्र के लिए, विशेषकर मिजोरम के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है…”
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “कुछ वर्ष पहले, मुझे आइजोल रेलवे लाइन की आधारशिला रखने का सौभाग्य मिला था और आज हम इसे देशवासियों को समर्पित करते हुए गर्व महसूस कर रहे हैं। दुर्गम रास्तों सहित कई चुनौतियों को पार करते हुए यह बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन अब साकार हो गई है। हमारे इंजीनियरों के कौशल और हमारे कार्यकर्ताओं के जज्बे ने इसे संभव बनाया है… यह सिर्फ एक रेल संपर्क नहीं है बल्कि यह बदलाव की जीवनरेखा है। यह मिजोरम के लोगों के जीवन और आजीविका में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। मिजोरम के किसान और व्यवसाय देश भर के बाजारों तक पहुंच सकेंगे…”
पूर्वोत्तर के विकास पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर की उपेक्षा पर चिंता जताते हुए विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। पीएम ने कहा कि इस देश में कुछ राजनीतिक दल लंबे समय से वोट बैंक की राजनीति करते रहे हैं। उनका ध्यान हमेशा उन जगहों पर रहा जहां ज्यादा वोट और सीटें थीं। मिजोरम जैसे राज्यों सहित पूरे पूर्वोत्तर को इस रवैये की वजह से बहुत नुकसान उठाना पड़ा है लेकिन हमारा नजरिया बिल्कुल अलग है। जो पहले उपेक्षित थे, वे अब सबसे आगे हैं। जो कभी हाशिए पर थे, वे अब मुख्यधारा में हैं। पिछले 11 वर्षों से हम पूर्वोत्तर के विकास के लिए काम कर रहे हैं। यह बयान पूर्वोत्तर को मुख्यधारा से जोड़ने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
परियोजना का प्रभाव: आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन
यह रेल लाइन मिजोरम को गुवाहाटी, अगरतला और इटानगर के बाद पूर्वोत्तर का चौथा रेल-संबद्ध राज्य राजधानी बनाएगी। किसानों को अपनी उपज देशभर के बाजारों तक पहुंचाने में आसानी होगी, जिससे आय बढ़ेगी। पर्यटन क्षेत्र में वृद्धि होगी, क्योंकि पहाड़ी इलाकों की खूबसूरती अब आसानी से सुलभ हो जाएगी। स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार आएगा, क्योंकि विशेषज्ञों और संसाधनों की आवाजाही तेज होगी। परियोजना से स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, खासकर पर्यटन, परिवहन और आतिथ्य क्षेत्रों में।
अन्य विकास परियोजनाएं
उद्घाटन के साथ ही प्रधानमंत्री ने कुल 9,000 करोड़ रुपये से अधिक की अन्य परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इनमें 45 किलोमीटर लंबी आइजोल बाईपास रोड शामिल है, जो 500 करोड़ रुपये की लागत से बनेगी। यह सड़क शहर की भीड़भाड़ कम करेगी और लुंगले, सिया, लॉन्गटलाई, लेंगपुई हवाई अड्डा और सैरांग रेलवे स्टेशन को जोड़ेगी। प्रधानमंत्री विकास पहल फॉर नॉर्थ ईस्ट रीजन (पीएम-डेवाइन) योजना के तहत यह परियोजना पूर्वोत्तर के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगी।
पूर्वोत्तर विकास की व्यापक तस्वीर
यह उद्घाटन पूर्वोत्तर के लिए एक मील का पत्थर है। 1999 में कल्पना की गई यह परियोजना 26 वर्षों के संघर्ष के बाद साकार हुई। सरकार का फोकस अब ‘अंतिम छोर’ तक पहुंचने पर है, जहां दुर्गम इलाकों को प्राथमिकता दी जा रही है। मिजोरम जैसे राज्य, जो कभी हाशिए पर थे, अब विकास की मुख्यधारा में हैं। यह रेल लाइन न केवल यात्रा को आसान बनाएगी, बल्कि सामाजिक-आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देगी।
एक नई यात्रा की शुरुआत
बैराबी-सैरांग रेल लाइन का उद्घाटन मिजोरम के लिए ‘बदलाव की जीवनरेखा’ है। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में, यह मिजो समाज के त्याग, सेवा और साहस का प्रतीक है। पूर्वोत्तर के विकास में यह कदम देश को एकजुट बनाने की दिशा में बड़ा योगदान देगा। आइए, इस ऐतिहासिक क्षण का स्वागत करें और उम्मीद करें कि ऐसी परियोजनाएं पूरे भारत को समृद्ध बनाएंगी।