बस्ती के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी), सिकंदरपुर में स्वास्थ्य सेवाएं और सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई हैं। पिछले चार दिनों से अस्पताल में झाड़ू-पोछा तक नहीं हुआ, और परिसर में कूड़े के ढेर और दुर्गंध ने मरीजों और उनके परिजनों का जीना मुहाल कर दिया है। TarangVoice.com इस गंभीर स्थिति को उजागर करता है, जो न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि मरीजों की सेहत के लिए बढ़ते खतरे को भी रेखांकित करता है।
बदहाल स्थिति: गंदगी और दुर्गंध का आलम
सिकंदरपुर पीएचसी में पिछले चार दिनों से सफाई कार्य ठप है। अस्पताल के वार्डों, गलियारों, और परिसर में कूड़ा जमा है, और शौचालयों से तेज दुर्गंध फैल रही है। ओपीडी में आने वाले मरीज और भर्ती मरीज धूल, गंदगी, और बदबू से परेशान हैं। खासकर गर्भवती महिलाओं और बाहर से आने वाले मरीजों को शौचालय उपयोग करने में भारी असुविधा हो रही है। इस स्थिति में दवाओं, डॉक्टरों, और सफाई की कमी को उजागर किया गया।
सफाईकर्मियों की मनमानी, प्रशासन की उदासीनता
स्थानीय लोगों का आरोप है कि सफाईकर्मी तीन-चार दिनों की हाजिरी एक ही दिन में दर्ज करते हैं, और अस्पताल प्रशासन इस मनमानी पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। सिकंदरपुर में जहां न तो शौचालयों की सफाई हो रही है और न ही परिसर में स्वच्छता बनाए रखने के लिए कोई प्रयास दिख रहा।
बीमारियों का खतरा: डेंगू, मलेरिया, और वायरल बुखार
गंदगी और अनुपचारित कचरे के कारण डेंगू, मलेरिया, और वायरल बुखार जैसी संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। TARANG VOICE के मुताबिक मानसून में जलजमाव और गंदगी से मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है, जिससे ऐसी बीमारियां तेजी से फैलती हैं। सिकंदरपुर पीएचसी में कूड़े के ढेर और शौचालयों की बदहाल स्थिति इस जोखिम को और बढ़ा रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही मरीजों की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन रही है।
मरीजों की परेशानी: मूलभूत सुविधाओं का अभाव
सिकंदरपुर पीएचसी में न केवल सफाई की कमी है, बल्कि अन्य मूलभूत सुविधाएं भी अनुपलब्ध हैं। बल्कि यहां न दवाएं उपलब्ध हैं, न पर्याप्त डॉक्टर, और न ही एक्स-रे जैसी बुनियादी जांच सुविधाएं। गर्भवती महिलाओं और आपातकालीन मरीजों को विशेष रूप से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट में बहराइच के पीएचसी में भी ऐसी ही समस्याओं का जिक्र है, जहां डॉक्टरों और सफाई कर्मियों की कमी मरीजों के लिए मुसीबत बनी हुई है।
समाधान की मांग: जिम्मेदारी और कार्रवाई
स्थानीय लोग और मरीज प्रशासन से निम्नलिखित मांग कर रहे हैं:
1. नियमित सफाई व्यवस्था: सफाईकर्मियों की उपस्थिति और कार्य की निगरानी सुनिश्चित की जाए।
2. कचरा प्रबंधन: अस्पताल परिसर में कचरे का नियमित निस्तारण और शौचालयों की सफाई।
3. स्वास्थ्य सुविधाएं: दवाओं, डॉक्टरों, और जांच सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाई जाए।
4. जागरूकता और निगरानी: स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन द्वारा नियमित निरीक्षण और जवाबदेही।
कई बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा एंटी-लार्वा छिड़काव और कैंप जैसे कदम उठाए गए हैं, जो सिकंदरपुर में भी लागू किए जा सकते हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार जरूरी
सिकंदरपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाल स्थिति प्रशासनिक लापरवाही और संसाधनों के अभाव का जीता-जागता सबूत है। गंदगी और सुविधाओं की कमी न केवल मरीजों के लिए असुविधा का कारण है, बल्कि संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बढ़ा रही है। TarangVoice.com के माध्यम से हम प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग करते हैं ताकि मरीजों को सुरक्षित और स्वच्छ स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। स्थानीय समुदाय और स्वास्थ्य विभाग को मिलकर इस स्थिति को सुधारने की दिशा में कदम उठाने होंगे।