हाल के दिनों में देशभर के शहरों में मसाज पार्लरों पर पुलिस की छापेमारी ने एक बार फिर अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्ती का संकेत दिया है। मसाज के नाम पर चल रहे यौन सेवाओं के कारोबार ने न केवल कानूनी सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल दिया है। आंध्र प्रदेश के ओंगोले से लेकर केरल के वायनाड तक, ऐसी कार्रवाइयों ने कई लोगों को गिरफ्त में लिया है। लेकिन क्या ये छापे समस्या की जड़ तक पहुंच पाएंगे? इस मुद्दे पर कर्नल पी.एस. बिंद्रा विस्तार से चर्चा की।
छापेमारी का हड़कंप: दिन का कारोबार, रात का दिखावा
पुलिस की अचानक कार्रवाई से मसाज पार्लरों में अफरा-तफरी मच गई। अधिकांश जगहों पर पार्लर बंद या खाली पाए गए, लेकिन कुछ में युवक-युवतियों को हिरासत में लिया गया। जानकारों के अनुसार, ये पार्लर दिन भर सक्रिय रहते हैं, लेकिन शाम होते ही शटर गिरा दिए जाते हैं ताकि बाहर से सब सामान्य लगे। ओंगोले में पुलिस ने 18 स्पा सेंटर्स पर एक साथ छापा मारा, जहां क्रॉस-जेंडर मसाज और अतिरिक्त सेवाओं का खुलासा हुआ। तीन स्पा मालिकों और ग्राहकों के खिलाफ केस दर्ज किए गए।
अवैध गतिविधियों का जाल
जांच में सामने आया कि कई पार्लरों में मसाज की आड़ में यौन सेवाएं दी जा रही हैं। कर्मचारियों की मेडिकल जांच न होने से HIV/AIDS जैसे रोगों का खतरा बढ़ रहा है। यह समस्या अब रेड-लाइट क्षेत्रों से निकलकर मॉल्स, होटलों, ढाबों, कॉलेज हॉस्टलों और कार्यालयों तक फैल चुकी है। वायनाड में पुलिस ने 37 अवैध स्पा पर नोटिस जारी किए, जो आयुर्वेदिक मसाज के नाम पर चल रहे थे। गुजरात में 805 स्पा, मसाज पार्लरों और होटलों पर छापे में 100 से अधिक गिरफ्तारियां हुईं।
स्वास्थ्य और सुरक्षा के खतरे
विशेषज्ञों का मानना है कि इन पार्लरों में स्वच्छता और सुरक्षा का अभाव बीमारियों को बढ़ावा दे रहा है। कर्मचारी अक्सर बिना जांच के काम करते हैं, जिससे यौन रोग फैलने का जोखिम है। दिल्ली में पुरानी घटनाओं से पता चलता है कि विदेशी महिलाओं को अवैध रूप से काम पर रखा जाता है, जो पर्यटक वीजा पर आती हैं। 2023 के गुजरात अभियान में कई जगहों पर फ्लेश ट्रेड के सबूत मिले।
कानूनी चुनौतियां
भारत में स्पा और मसाज पार्लर कानूनी हैं, लेकिन अवैध सेवाओं पर सख्ती जरूरी है। कई राज्यों में क्रॉस-जेंडर मसाज प्रतिबंधित है। मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई में छापों से नेपाली, थाईलैंड और मलेशियाई महिलाओं की तस्करी का पर्दाफाश हुआ। टेक्सास जैसे विदेशी उदाहरणों से सीख लेते हुए, भारत में भी आपातकालीन बंदी के प्रावधान मजबूत हो सकते हैं।
क्या छापे ही काफी हैं? समाधान के रास्ते
ये कार्रवाइयां भले ही अस्थायी राहत दें, लेकिन स्थायी समाधान के लिए व्यापक कदम जरूरी हैं। विशेषज्ञ सुझाते हैं कि पार्लरों की छह माह में मेडिकल जांच अनिवार्य हो। लाइसेंसिंग प्रक्रिया सख्त की जाए, जहां कर्मचारियों के दस्तावेज और स्वास्थ्य प्रमाणपत्र अनिवार्य हों।
जागरूकता और शिक्षा का महत्व
सेक्सुअल हेल्थ शिक्षा को हर स्तर पर अनिवार्य किया जाए। होटल स्टाफ, ट्रक यूनियन, युवाओं तक शिक्षा पहुंचे। गांवों और शहरों में निरंतर अभियान चलें। यह मुद्दा केवल नैतिकता का नहीं, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा का है। कर्नल पी.एस. बिंद्रा जैसे ब्रांड एंबेसडर स्वच्छ भारत अभियान के तहत जागरूकता फैला सकते हैं।
सख्ती के साथ संवेदनशीलता
मसाज पार्लरों की छापेमारियां अवैध कारोबार पर लगाम कस रही हैं, लेकिन समस्या की जड़ है लापरवाही और कमी। सख्त नियम, नियमित जांच और जागरूकता से ही हम स्वस्थ समाज बना सकते हैं। आइए, मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाएं।