उत्तर प्रदेश का अंबेडकरनगर जिला गन्ना खेती का एक प्रमुख केंद्र है, जहाँ किसान अब परंपरागत तरीकों को छोड़कर टंच विधि और गड्ढा विधि जैसी उन्नत तकनीकों को अपना रहे हैं। इन नई तकनीकों ने न केवल गन्ने की उपज में कई गुना वृद्धि की है, बल्कि किसानों की आय और जीवन स्तर को भी बेहतर बनाया है|
गन्ना खेती में क्रांति: परंपरा से नवाचार तक
परंपरागत रूप से, अंबेडकरनगर के किसान गन्ना बोने के बाद केवल दो बार फसल काट पाते थे, जिससे उनकी आय सीमित थी। लेकिन टंच विधि और गड्ढा विधि ने इस स्थिति को बदल दिया है। अब किसान एक बार गन्ना बोने के बाद चार बार रैटून फसल काट रहे हैं, जिससे उनकी मेहनत और संसाधनों का उपयोग अधिक प्रभावी हो गया है। इन विधियों ने गन्ना खेती को अधिक उत्पादक, टिकाऊ, और लाभकारी बना दिया है।
टंच विधि: उत्पादकता का नया आधार
टंच विधि(trench method) गन्ना खेती में एक क्रांतिकारी तकनीक है। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है:
– स्वस्थ गन्ने का चयन:किसान रोगमुक्त और स्वस्थ गन्ने चुनते हैं। इन्हें 2-3 कली वाले छोटे टुकड़ों में काटा जाता है।
– कीटनाशक उपचार: गन्ने के टुकड़ों को क्लोरपायरीफॉस या कार्बेंडाजिम जैसे कीटनाशकों में भिगोया जाता है, ताकि कीटों और फफूंद से सुरक्षा मिले।
– खेत की तैयारी:खेत की गहरी जुताई की जाती है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है। इसके बाद 60-90 सेंटीमीटर की दूरी पर गहरी नालियाँ बनाई जाती हैं।
– खाद और बुवाई: नालियों में यूरिया, डीएपी, और जैविक खाद डाली जाती है। गन्ने के टुकड़ों को नालियों में बोया जाता है और मिट्टी से ढक दिया जाता है।
– सिंचाई और देखभाल: गन्ने की बुवाई के 20 दिन बाद हल्की सिंचाई करना पड़ती है। खरपतवार पर नियंत्रण पाने के लिए कम से कम 3-4 बार गुड़ाई की जाती है साथ ही कोराजाइम जैसे उर्वरकों का छिड़काव किया जाता है।
– बांधाई: अगस्त-सितंबर में गन्ने की बांधाई की जाती है, ताकि तेज हवाएँ और बारिश फसल को नुकसान न पहुँचाएँ।
लाभ: टंच विधि से गन्ने की जड़ें मजबूत होती हैं, पौधों की वृद्धि तेज होती है, और फसल रोगों से सुरक्षित रहती है। यह विधि पानी और उर्वरकों का कुशल उपयोग करती है।
गड्ढा विधि: अधिक उपज का नया तरीका
गड्ढा विधि (ring-pit method) एक और प्रभावी तकनीक है, जो अंबेडकरनगर के किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है:
– गड्ढों की तैयारी: 60 सेंटीमीटर व्यास और 30 सेंटीमीटर गहरे गोलाकार गड्ढे खोदे जाते हैं, जिनके बीच 60 सेंटीमीटर का अंतर रखा जाता है।
– खाद और उर्वरक:प्रत्येक गड्ढे में 3 किलोग्राम जैविक खाद, 8 ग्राम यूरिया, 20 ग्राम डीएपी, और 16 ग्राम म्यूरिएट ऑफ पोटाश डाला जाता है। ट्राइकोडर्मा और जिंक सल्फेट का उपयोग भी किया जाता है।
– बुवाई कैसे करे: सबसे पहले गन्ने को 2-3 कली वाले टुकड़ों में काट लिया जाता है फिर टुकड़े को गड्ढों में बोया जाता है और मिट्टी से ढक दिया जाता है।
– सिंचाई: गड्ढों को छोटी नालियों से जोड़ा जाता है, ताकि पानी सीधे जड़ों तक पहुँचे।
लाभ: गड्ढा विधि पानी और उर्वरकों का कम उपयोग करती है, जिससे 25-50% अधिक उपज प्राप्त होती है। यह विधि 3-4 बार रैटून फसल देती है, जिससे लागत कम होती है और आय बढ़ती है।
मौसम का चयन: उपज बढ़ाने की कुंजी
गन्ना बोने का सबसे अनुकूल समय मार्च और अप्रैलहै, क्योंकि इस दौरान मिट्टी में नमी और तापमान का संतुलन गन्ने के विकास के लिए आदर्श होता है। सर्दियों की तुलना में गर्मियों में बोया गया गन्ना तेजी से बढ़ता है, जिससे उपज में वृद्धि होती है। अंबेडकरनगर के किसानों ने इस समय का उपयोग करके अपनी फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार किया है।
– उपज और आय में वृद्धि
नई तकनीकों ने अंबेडकरनगर में गन्ना खेती को एक लाभकारी व्यवसाय में बदल दिया है:
– सामान्य विधि: नार्मल विधि से एक बीघा भूमि में 100 से 150 क्विंटल गन्ना उपज पाता था।
– नई विधियाँ: टंच और गड्ढा विधि से एक बीघा से 200-350 क्विंटल गन्ना प्राप्त हो रहा है।
– रैटून फसल: परंपरागत रूप से केवल 2 बार फसल काटी जा सकती थी, लेकिन अब 4 बार रैटून फसल ली जा रही है।
– आर्थिक लाभ: बढ़ी हुई उपज ने किसानों को बेहतर बाजार मूल्य दिलाया है, जिससे उनकी आय में कई गुना वृद्धि हुई है।
किसानों की सफलता की कहानियाँ
रामप्रकाश, एक स्थानीय किसान, कहते हैं, “पहले गन्ना खेती से ज्यादा मुनाफा नहीं होता था। टंच विधि अपनाने के बाद मेरी उपज दोगुनी हो गई। अब मैं चार बार फसल काट रहा हूँ, जिससे मेरी आय में तीन गुना वृद्धि हुई है। इससे मेरे परिवार का जीवन स्तर बेहतर हुआ है।”
कमला देवी, एक महिला किसान, बताती हैं, गड्ढा विधि ने मेहनत और पानी की खपत कम की। अब मैं कम लागत में ज्यादा गन्ना उगा पाती हूँ। इससे मेरे बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च आसानी से चल रहा है।
ये कहानियाँ दर्शाती हैं कि उन्नत तकनीकों ने न केवल किसानों की आय बढ़ाई है, बल्कि उनकी मेहनत को भी कम किया है। अंबेडकरनगर के किसानों की यह प्रगति अन्य जिलों के लिए प्रेरणा बन सकती है।
चुनौतियाँ और समाधान
नई तकनीकों के बावजूद, गन्ना खेती में कुछ चुनौतियाँ हैं:
– श्रम की कमी: टंच और गड्ढा विधि में नालियाँ और गड्ढे बनाने के लिए अधिक श्रम की आवश्यकता होती है।
– समाधान:पिट डिगर मशीन या अन्य कृषि यंत्रों का उपयोग श्रम और समय बचाता है।
-जागरूकता की कमी: कई किसान अभी भी नई तकनीकों से अनजान हैं।
-समाधान:कृषि विभाग और विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण शिविर और कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँ।
– जलवायु परिवर्तन: अनियमित बारिश और सूखा फसल को प्रभावित कर सकता है।
-समाधान:ड्रिप इरिगेशन और जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग पानी की कमी को कम करता है।
टंच विधि से गन्ना उपजाकर अंबेडकरनगर के किसानों ने खेती को एक लाभकारी व्यवसाय में बदल दिया है। टंच और गड्ढा विधि ने उपज को 100-150 क्विंटल से बढ़ाकर 200-350 क्विंटल कर दिया है, जिससे किसानों की आय में कई गुना वृद्धि हुई है। यह प्रगति न केवल अंबेडकरनगर, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक प्रेरणा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन तकनीकों को व्यापक स्तर पर अपनाया जाए और किसानों को प्रशिक्षण दिया जाए, तो गन्ना खेती और गुड़ उत्पादन में क्रांति आ सकती है।
लेखक के बारे में
अभिषेक तिवारी एक स्वतंत्र पत्रकार और कृषि विश्लेषक हैं, जो भारतीय कृषि, नवाचार, और ग्रामीण विकास पर लेख लिखते हैं। इन्हें किसानों की प्रगति और प्रकृति के साथ संतुलन को बढ़ावा देने में विशेष रुचि है।