फेफड़े की टी.बी. क्या है? कारण, लक्षण, और जोखिम

क्षय रोग (Tuberculosis या TB) एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होती है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन यह हड्डियों, मस्तिष्क, या अन्य अंगों में भी फैल सकती है। भारत में टी.बी. एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती है, लेकिन समय पर जाँच और उपचार से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। यदि आपके परिवार, बस्ती, या मोहल्ले में किसी में नीचे दिए गए लक्षण दिखें, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें।
टी.बी. के लक्षण: शुरुआती संकेतों को पहचानें
टी.बी. के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और शुरुआत में सामान्य सर्दी-खांसी जैसे लग सकते हैं। यदि निम्नलिखित लक्षण दिखें, तो तुरंत सतर्क हो जाएं

भूख न लगना और वजन घटना: खाने की इच्छा कम होना और बिना किसी कारण के वजन में कमी।

भूख न लगना और वजन घटना: खाने की इच्छा कम होना और बिना किसी कारण के वजन में कमी।
थकान और कमजोरी: सामान्य काम करने में थकान महसूस होना या मेहनत का काम न कर पाना।
शाम को बुखार और हरारत: हर शाम हल्का बुखार और गर्मी का अहसास, जो सुबह पसीने के साथ ठीक हो जाता है।
लगातार खांसी: 2-3 हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहना, कभी-कभी बलगम के साथ खून आना।
सीने और पीठ में दर्द: फेफड़ों में इंफेक्शन के कारण सीने या पीठ में दर्द।
बलगम में खून: खांसी के साथ बलगम में खून आना, जो एक गंभीर लक्षण है।
सुझाव: यदि ये लक्षण 2 हफ्ते से अधिक समय तक बने रहें, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाँच कराएं। शुरुआती पहचान से इलाज आसान और प्रभावी होता है।

टी.बी. की जाँच: निःशुल्क और सुलभ सुविधाएं

भारत सरकार का राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) टी.बी. की जाँच और उपचार को मुफ्त प्रदान करता है। प्रमुख बिंदु:थूक जाँच (Sputum Test): टी.बी. की पुष्टि के लिए मरीज के थूक के नमूने लिए जाते हैं। यह जाँच कम से कम छह बार की जाती है, जिसमें माइक्रोस्कोप, CB-NAAT, या अन्य तकनीकों से जीवाणु की पहचान होती है।
निःशुल्क जाँच और दवाएं: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में ए.पी. बांदा अस्पताल के DOT सेंटर पर टी.बी. की सभी जाँचें और दवाएं मुफ्त उपलब्ध हैं। यह सुविधा हर जिले के सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) पर भी मिलती है।
परिवार की सुरक्षा: टी.बी. रोगी के संपर्क में रहने वाले परिवार के सदस्यों की भी जाँच करानी चाहिए, क्योंकि यह रोग हवा के माध्यम से फैल सकता है। इसके लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर स्क्रीनिंग कराएं। अगर लक्षण दिखें, तो तुरंत DOT सेंटर या हेल्पलाइन नंबर 1800-11-6666 पर संपर्क करें।

रोकथाम और बचाव: छोटे कदम, बड़ा प्रभाव

टी.बी. एक संक्रामक रोग है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर इसे रोका जा सकता है। निम्नलिखित उपाय अपनाएं
खांसते-छींकते समय सावधानी: हमेशा मुंह पर रूमाल, मास्क, या हाथ रखें। इससे टी.बी. के जीवाणु दूसरों तक नहीं पहुंचेंगे।
धूप और हवादार माहौल: धूप और हवा में रहें, क्योंकि टी.बी. के जीवाणु नम और अंधेरी जगहों में अधिक सक्रिय होते हैं। घर में खिड़कियां खुली रखें।
दवाओं का पूरा कोर्स: डॉक्टर द्वारा बताए गए 6-9 महीने के दवा कोर्स को पूरी तरह करें। अधूरा कोर्स रोग को ठीक होने से रोक सकता है।
दवाएं बीच में न छोड़ें: दवाएं बंद करने से टी.बी. बढ़ सकती है और मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट टी.बी. (MDR-TB) का खतरा हो सकता है, जिसका इलाज जटिल और लंबा होता है।

महत्वपूर्ण: डॉट्स (Directly Observed Treatment Short-course) के तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता दवाएं लेने में मदद करते हैं। इसका पालन करें। 

मिथक और सच्चाई: टी.बी. को समझें
मिथक: टी.बी. लाइलाज है।
सच्चाई: समय पर जाँच और उपचार से टी.बी. पूरी तरह ठीक हो सकती है।
मिथक: टी.बी. केवल गरीबों को होती है।
सच्चाई: यह किसी भी उम्र, वर्ग, या पृष्ठभूमि के व्यक्ति को हो सकती है।
मिथक: टी.बी. छूने से फैलती है।
सच्चाई: यह हवा के माध्यम से खांसी या छींक से फैलती है, न कि छूने से।

सरकारी योजनाएं: टी.बी. के खिलाफ जंग

भारत सरकार ने 2025 तक टी.बी. उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत
निःशुल्क जाँच और उपचार: सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध।
निक्षय पोषण योजना: टी.बी. रोगियों को हर महीने ₹500 की पोषण सहायता।
डॉट्स प्रोग्राम: नियमित दवाएं और निगरानी सुनिश्चित करता है।
जागरूकता अभियान: गांव-गांव तक टी.बी. के लक्षणों और इलाज की जानकारी।

सामाजिक जिम्मेदारी: उत्तर प्रदेश में DOT सेंटर और समुदाय की भूमिका

टी.बी. को खत्म करने के लिए समाज का सहयोग जरूरी है। आप क्या कर सकते हैं:जागरूकता फैलाएं: परिवार और पड़ोसियों को टी.बी. के लक्षण और जाँच के बारे में बताएं।
पौष्टिक भोजन: रोगी को प्रोटीन और विटामिन युक्त भोजन दें, जैसे दाल, हरी सब्जियां, और फल।
नियमित स्क्रीनिंग: अगर परिवार में कोई टी.बी. रोगी है, तो सभी सदस्यों की जाँच कराएं।
स्वच्छता: घर और आसपास के क्षेत्र को साफ और हवादार रखें।
टी.बी. से डरें नहीं, जागरूक बनें
टी.बी. एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य बीमारी है। बांदा जैसे क्षेत्रों में निःशुल्क जाँच और उपचार की सुविधा इसे और सुलभ बनाती है। अगर लक्षण दिखें, तो तुरंत नजदीकी DOT सेंटर या सरकारी अस्पताल जाएं। हेल्पलाइन नंबर 1800-11-6666 पर संपर्क करें। समय पर कदम उठाकर आप न केवल खुद को, बल्कि अपने परिवार और समुदाय को भी बचा सकते हैं। आइए, जागरूकता और सावधानी के साथ भारत को टी.बी. मुक्त बनाने में योगदान दें। टी.बी. हारेगा, भारत जीतेगा!

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here