डिजिटल भारत में एक नया सनसनी पैदा हो गया है अरट्टई मैसेंजर। तमिल में ‘अरट्टई’ का मतलब है ‘गपशप’ या ‘बातचीत’, और यही इस ऐप की सरलता को बयां करता है। जोहो कॉर्पोरेशन द्वारा 2021 में लॉन्च किया गया यह ऐप चार साल तक छुपा-छुपा रहा, लेकिन सितंबर 2025 में यह रातोंरात स्टार बन गया। दैनिक साइन-अप्स सिर्फ तीन दिनों में 3,000 से उछलकर 3.5 लाख हो गए, ट्रैफिक 100 गुना बढ़ गया।
जोहो के फाउंडर श्रीधर वेंबु ने खुद X पर कहा, “यह एक्सपोनेंशियल ग्रोथ है, हम इमरजेंसी बेसिस पर इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहे हैं।”
चार साल की गुमनामी के बाद मचाया धूम
लेकिन सवाल वही है चार साल गुमनामी में रहने के बाद यह ऐप अचानक कैसे धूम मचा रहा है? आइए, इसकी पूरी कहानी समझते हैं।
अचानक से ऐसे पॉपुलर हुआ ऐप
सरकारी समर्थन और स्वदेशी लहरअरट्टई की सफलता का राज है ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बढ़ती हवा। नवरात्रि से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील की, जिसने डिजिटल टूल्स पर फोकस डाला।
24 सितंबर 2025 को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसे ‘सुरक्षित, यूजर-फ्रेंडली और पूरी तरह फ्री’ बताते हुए एंडोर्स किया। इसके बाद चेन रिएक्शन शुरू हो गया लोग खुद-ब-खुद शेयर करने लगे।आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट प्रेजेंटेशन में जोहो के टूल्स इस्तेमाल किए, जो अरट्टई के लिए अप्रत्यक्ष प्रमोशन था।
गृह मंत्री अमित शाह ने जोहो मेल पर स्विच किया, जिसकी चर्चा X पर छा गई। सोशल मीडिया पर #Arattai ट्रेंड करने लगा, जहां यूजर्स इसे ‘व्हाट्सएप किलर’ बता रहे हैं।
पेरप्लेक्सिटी AI के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने ट्वीट किया, ‘जोहो का यह ऐप ग्लोबल दिग्गजों को चुनौती दे रहा है।’ उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने डाउनलोड की तस्वीर शेयर की, जिससे वायरलिटी बढ़ी।
X पर हाल के पोस्ट्स में यूजर्स स्वदेशी विकल्पों को प्रमोट कर रहे हैं अरट्टई को व्हाट्सएप, उला को क्रोम, मैप्पल्स को गूगल मैप्स के साथ।
एक हफ्ते में 70 लाख डाउनलोड्स, ऐप स्टोर पर नंबर-1 पोजीशन यह सब प्राइवेसी चिंताओं (जैसे व्हाट्सएप की 2021 पॉलिसी) और स्पाईवेयर स्कैंडल्स के बीच हुआ।
व्हाट्सएप को टक्कर देना कड़ा काम
चुनौतियां और भविष्य की राहभारत में व्हाट्सएप के 50 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं, जो रोजाना चैट करते हैं।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अरट्टई को नेटवर्क इफेक्ट्स (दोस्तों का इस्तेमाल) और इंफ्रास्ट्रक्चर हैंडलिंग से जूझना पड़ेगा। शुरुआती सर्वर लोड से यूजर्स को OTP डिले, कॉन्टैक्ट सिंक इश्यूज और कॉल ग्लिचेज का सामना करना पड़ा।
जोहो ने ‘ऑल-हैंड्स-ऑन-डेक’ मोड में सर्वर्स बढ़ाए, लेकिन लंबे समय तक टिकने के लिए और काम बाकी है।मुख्य चुनौती है एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) कॉल्स में तो है, लेकिन चैट मैसेजेस में अभी नहीं।
X पर यूजर्स पूछ रहे हैं, “चार साल बाद भी E2EE क्यों नहीं?”
जोहो CEO मणि वेंबु ने कहा, “हम 20 साल से इस तकनीक पर काम कर रहे हैं, जल्द ला रहे हैं।”
बिजनेस इंटीग्रेशन, जेनरेटिव AI फीचर्स और भाषा सपोर्ट पर फोकस से यह मजबूत होगा।
पहले हाइक मैसेंजर आया था, जो 100 मिलियन यूजर्स तक पहुंचा लेकिन 2021 में बंद हो गया ग्लोबल कंपटीशन से हार गया।
अरट्टई को भी वैसा न हो, इसके लिए जोहो को यूजर बेस बढ़ाना और मोनेटाइजेशन (बिना डेटा बेचे) पर सोचना पड़ेगा।
अरट्टई ऐप की खासियतें: जो व्हाट्सएप से आगे हैंअरट्टई में यूजर्स एक-दूसरे से या ग्रुप में चैट कर सकते हैं। टेक्स्ट, फोटो, वीडियो शेयर करने की सुविधा है। साथ ही ऑडियो और वीडियो कॉल भी हो सकती हैं, जो E2EE से सुरक्षित हैं।
ऐप कई डिवाइस पर चलता है – एंड्रॉइड टीवी, डेस्कटॉप, मैक, विंडोज, लिनक्स।
व्हाट्सएप में अभी एंड्रॉइड टीवी वर्जन नहीं है!अन्य फीचर्स: वॉइस नोट्स, स्टोरीज, ब्रॉडकास्ट चैनल्स, मीटिंग्स (जूम जैसी), फाइल शेयरिंग।
कोई ऐड्स नहीं, डेटा भारत में स्टोर प्राइवेसी फर्स्ट।
लो-बैंडविड्थ यूजर्स के लिए ऑप्टिमाइज्ड, ग्रामीण इलाकों में पॉपुलर।
स्वदेशी का नया अध्यायअरट्टई सिर्फ ऐप नहीं, डिजिटल स्वतंत्रता का प्रतीक है।
चार साल की मेहनत के बाद सरकारी धक्के और सोशल मीडिया की ताकत ने इसे उड़ान दी। लेकिन व्हाट्सएप जैसा दिग्गज हरा पाना आसान नहीं E2EE, इंफ्रा और यूजर एंगेजमेंट पर काम जारी है। जोहो के विजन से यह संभव लगता है। अगर आप प्राइवेसी और स्वदेशी चाहते हैं, तो आज ही डाउनलोड करें। आपका अनुभव कैसा रहा? कमेंट्स में शेयर करें!