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नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है? जानिए नरकासुर वध की कथा, व्रत विधि और पूजन विधि

क्यों मनाते है नरक चतुर्दशी, नरकासुर का वध किसने किया; व्रत कैसे रखे और क्या करे

नरक चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो दीपावली से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरकासुर के वध की खुशी में यह उत्सव होता है। सरल भाषा में जानिए नरक चतुर्दशी क्या है, क्यों मनाते हैं और इसके फायदे क्या हैं।

नरक चतुर्दशी कब मनाया जाता है?

नरक चतुर्दशी कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है। इसे नरकासुर वध जयंती भी कहते हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक, नरकासुर नाम का राक्षस लोगों को सताता था। भगवान कृष्ण ने सत्यभामा के साथ मिलकर इसका वध किया। इसलिए बुराई पर अच्छाई की जीत मनाई जाती है। यह दीपावली का दूसरा दिन है।
भगवान श्रीकृष्ण ने क्यों किया था वध
नरकासुर के वध का वर्णन श्रीमद्भागवत में मिलता है, नरकासुर ने देवराज इंद्र के सिहांसन पर कब्जा कर लिया था, साथ ही देवों की माता अदिति के कानों का कुंडल छीन लिया था। सभी देवताओं ने इसके आतंक बचने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के शरण में गए। श्रीकृष्ण और नरकासुर के बीच भीषण संग्राम हुआ। इस युद्ध में नरकासुर का वध करके भगवान ने इसके कैद से 16000 राजकुमारियों को मुक्त कराया।

नरकासुर कौन था ?

नरकासुर धरती माता का पुत्र माना जाता है। मृत्यु के बाद ये धरती में विलीन हो गया। माता पृथ्वी ने माधव से याचना की मेरा पुत्र होते हुए भी इसमें आसुरी प्रवृत्ति थी, जिसकी वजह से इसका वध असुरों की तरह हुआ। भगवान श्रीकृष्ण ने माता पृथ्वी को वरदान दिया कि ये नरका चतुर्दशी के रूप में विख्यात होगा और इस दिन जो भी मेरी पूजा करेगा उसे मन वांछित फल मिलेगा।

इस दिन किसकी और कैसे करें पूजा?

मनाने का तरीका सरल है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। नीम पत्ती, हल्दी, चंदन का उबटन लगाएं। तिल के तेल से नहाएं। यमराज और चित्रगुप्त जी की पूजा करें। घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं। दक्षिण दिशा में यम दीपक रखें। शाम को आरती करें। काले तिल दान करें।
पापों का नाश होता है
फायदे धार्मिक और स्वास्थ्य दोनों हैं। पूजा से पाप नष्ट होते हैं। यमराज प्रसन्न होकर सुख देते हैं। उबटन लगाने से त्वचा चमकती है, कीटाणु मरते हैं। वैज्ञानिक रूप से तेल स्नान से शरीर गर्म होता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। दीप जलाने से वातावरण शुद्ध होता है।

इस दिन व्रत रखने वाले फलाहार करते हैं। गरीबों को भोजन दें। रात को दीपक बुझा दें। नरक चतुर्दशी नर्क के द्वार बंद होने का प्रतीक है। अगले दिन दीपावली आती है। यह पर्व जीवन से अंधेरा भगाने का संदेश देता है।
नरक चतुर्दशी बुराई दूर करने का त्योहार है। सही विधि से मनाने से स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि मिलती है। इसे अपनाकर जीवन उज्ज्वल बनाएं।

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