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Zero Waste: स्वच्छता की शुरुआत घर से, दिखावे से नहीं

भारत में स्वच्छता को लेकर अक्सर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। नेताओं, अधिकारियों और मशहूर हस्तियों को झाड़ू हाथ में लेकर सड़कों पर फोटो खिंचवाते देखा जाता है। कैमरे की चमक, सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें और अगले दिन अखबारों में सुर्खियां लेकिन क्या यह सब असल में स्वच्छता की दिशा में कोई बदलाव लाता है? आज की समझदार जनता इन दिखावों से प्रभावित नहीं होती। लोग जानते हैं कि सच्ची स्वच्छता सड़क पर झाड़ू चलाने से नहीं, बल्कि घर से शुरू होती है। अगर हम वाकई स्वच्छ भारत चाहते हैं, तो हर घर को ” Zero Waste होम” बनाना होगा। आइए, इस दिशा में करनाल के एक अनोखे उदाहरण से प्रेरणा लें और समझें कि कैसे छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं।

Zero Waste होम: करनाल का प्रेरणादायक उदाहरण

करनाल में एक परिवार ने साबित किया है कि कचरे को संपत्ति में बदला जा सकता है। इस घर में कचरे का प्रबंधन इतना अनुशासित है कि कूड़ा उठाने वाला व्यक्ति हर महीने ₹100 देने को तैयार है। आमतौर पर लोग कूड़ा उठाने के लिए ₹200 देते हैं, लेकिन इस घर में उल्टा हो रहा है। इसका राज़ है कचरे का सही तरीके से अलगाव (Segregation)।

कचरा प्रबंधन का सरल मॉडल

इस घर में कचरे को व्यवस्थित रूप से अलग किया जाता है:

सूखा कचरा: कागज, प्लास्टिक, और पॉलिथीन को साफ करके अलग रखा जाता है, ताकि रीसाइक्लिंग आसान हो। इससे कूड़ा उठाने वाले को ₹300-400 की कमाई होती है।

गीला कचरा: सब्जी-फल के छिलके और फूल हरे डिब्बे में डालकर खाद बनाई जाती है, जो बगीचे में उपयोग होती है।

अन्य कचरा: टूटा कांच, कंघी से निकले बाल आदि भी अलग रखे जाते हैं, जो रीसाइक्लिंग के लिए बिक जाते हैं।

इस तरह, घर से कोई भी कचरा बेकार नहीं जाता। न सड़ता है, न गंधाता है—सब कुछ एक संसाधन बन जाता है। इस प्रक्रिया में घर की मेड भी शामिल है, जिसे अलगाव के लिए ₹200 अतिरिक्त दिए जाते हैं। वह खुशी-खुशी कहती है, “साहब, इससे मेरा मोबाइल खर्च निकल जाता है।” यह मॉडल न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी लाभकारी है।

कचरे को संपत्ति में बदलने की ताकत

इस परिवार का उदाहरण बताता है कि अगर कचरे को सही तरीके से प्रबंधित किया जाए, तो यह बोझ नहीं, बल्कि संपत्ति बन सकता है। सोचिए, अगर करनाल के हजारों घर इस मॉडल को अपनाएं, तो क्या होगा? शहर चमक उठेगा, कचरे का ढेर गायब हो जाएगा, और कूड़ा उठाने वाले लोग “रीसाइक्लिंग पार्टनर” के रूप में सम्मान पाएंगे। यह न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।

नगर निगम की पहल: स्टार स्टेटस का प्रस्ताव

करनाल नगर निगम ने इस दिशा में एक प्रेरक कदम उठाने की योजना बनाई है। जिन घरों में कचरे का सही तरीके से अलगाव होगा, उन्हें “स्टार स्टेटस” दिया जाएगा। यह पहल न केवल नागरिकों को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि करनाल को पूरे देश में एक मिसाल बनाएगी। अगर हर शहर इस तरह की नीति अपनाए, तो स्वच्छ भारत अभियान का सपना जल्द साकार हो सकता है।

ज़ीरो वेस्ट की चुनौतियां और समाधान

ज़ीरो वेस्ट की राह आसान नहीं है। कई परिवारों को लगता है कि कचरे को अलग करना समय और मेहनत मांगता है। लेकिन करनाल के इस उदाहरण से साफ है कि छोटे-छोटे कदम और थोड़ा अनुशासन बड़ा बदलाव ला सकता है। कुछ व्यावहारिक सुझाव इस प्रकार हैं:

अलग-अलग डिब्बे रखें: सूखे, गीले और खतरनाक कचरे के लिए अलग डिब्बे रखें।

खाद बनाएं: जैविक कचरे से घर पर खाद बनाएं, जो पौधों के लिए फायदेमंद हो।

रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहन: स्थानीय कबाड़ियों को साफ और अलग किया हुआ कचरा दें।

जागरूकता फैलाएं: परिवार और पड़ोसियों को इस मॉडल के बारे में बताएं।

नेताओं से अपील: दिखावे से आगे बढ़ें

अक्सर हम देखते हैं कि बड़े नेता और अधिकारी स्वच्छता अभियान में हिस्सा लेते हैं, लेकिन यह सिर्फ कैमरे तक सीमित रहता है। अगर वे वाकई जनता को प्रेरित करना चाहते हैं, तो उन्हें अपने घर को ज़ीरो वेस्ट होम बनाना होगा। जनता अब दिखावे से नहीं, बल्कि वास्तविक प्रयासों से प्रभावित होती है। अगली बार जब कोई झाड़ू उठाए, तो उससे पूछिए, “साहब, आपका घर क्या ज़ीरो वेस्ट होम है?”

सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव

ज़ीरो वेस्ट मॉडल अपनाने से कई फायदे हैं। यह लैंडफिल में कचरे का ढेर कम करता है, प्रदूषण को रोकता है और रीसाइक्लिंग उद्योग को बढ़ावा देता है। साथ ही, यह कूड़ा उठाने वालों की मेहनत को सम्मान देता है। करनाल जैसे छोटे शहर अगर इस दिशा में आगे बढ़ें, तो बड़े शहरों जैसे दिल्ली और मुंबई के लिए भी यह प्रेरणा बनेगा। स्वच्छ भारत अभियान को सही मायने में तभी सफलता मिलेगी जब हर नागरिक इसे अपनी जिम्मेदारी समझे।

हर घर बने ज़ीरो वेस्ट होम

करनाल का यह उदाहरण हमें सिखाता है कि स्वच्छता की शुरुआत घर से होती है। कैमरे के सामने झाड़ू उठाने से ज्यादा जरूरी है कचरे को सही तरीके से प्रबंधित करना। अगर हर घर, हर मोहल्ला और हर शहर इस मॉडल को अपनाए, तो भारत न केवल स्वच्छ, बल्कि समृद्ध और पर्यावरण के प्रति जागरूक भी बनेगा। आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि हमारा घर “ज़ीरो वेस्ट होम” बनेगा। कचरे को संपत्ति में बदलें, कूड़ा उठाने वालों का सम्मान करें और गर्व से कहें: “मेरा घर ज़ीरो वेस्ट होम है!”

 

Abhishek Tiwari
Abhishek Tiwari
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में समर्पित प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से जुड़े। उद्देश्य सच्चाई को जन-जन तक पहुंचाना और राष्ट्र के हित में कार्य करना है। साहसी, निडर, और समर्पित व्यक्तित्व के साथ, समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास।

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